31-12-03  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“इस वर्ष निमित्त और निर्माण बन जमा के खाते को बढ़ाओ और अखण्ड महादानी बनो”

आज अनेक भुजाधारी बापदादा अपने चारों ओर की भुजाओं को देख रहे हैं। कोई भुजायें साकार में सम्मुख हैं और कई भुजायें सूक्ष्म रूप में दिखाई दे रही हैं। बापदादा अपनी अनेक भुजाओं को देख हर्षित हो रहे हैं। सभी भुजायें नम्बरवार बहुत आलराउण्डर, एवररेडी, आज्ञाकारी भुजायें हैं। बापदादा सिर्फ इशारा करते तो राइट हैण्डस कहते - हाँ बाबा, हाजिर बाबा, अभी बाबा। ऐसे मुरब्बी बच्चों को देख कितनी खुशी होती! बापदादा को रूहानी फखुर है कि सिवाए बापदादा के और किसी भी धर्म आत्मा, महान आत्मा को ऐसी और इतनी सहयोगी भुजायें नहीं मिलती। देखो सारे कल्प में चक्कर लगाओ ऐसी भुजायें किसको मिली हैं? तो बापदादा हर भुजा की विशेषता को देख रहे हैं। सारे विश्व से चुनी हुई विशेष भुजायें हो, परमात्म सहयोगी भुजायें हो। देखो आज इस हाल में भी कितने पहुंच गये हैं! (आज हाल में 18 हजार से भी अधिक भाई बहिनें बैठे हैं) सभी अपने को परमात्म भुजा हैं, यह अनुभव करते हो? फखुर है ना!

बापदादा को खुशी है कि चारों ओर से नया वर्ष मनाने के लिए सभी पहुंच गये हैं। लेकिन नया वर्ष क्या याद दिलाता है? नया युग, नया जन्म। जितना ही अति पुराना लास्ट जन्म है उतना ही नया पहला जन्म कितना सुन्दर है! यह श्याम और वह सुन्दर। इतना स्पष्ट जैसे आज के दिन पुराना वर्ष भी स्पष्ट है और नया वर्ष भी सामने स्पष्ट है। ऐसे अपना नया युग, नया जन्म स्पष्ट सामने आता है? आज लास्ट जन्म में हैं, कल फर्स्ट जन्म में होंगे। क्लीयर है? सामने आता है? जो आदि बच्चे हैं उन्होंने ब्रह्मा बाप का अनुभव किया। ब्रह्मा बाप को जैसे अपना नया जन्म, नये जन्म का राजाई शरीर रूपी वस्त्र सदा सामने खूंटी पर लटका हुआ दिखाई देता था। जो भी बच्चे मिलने जाते वह अनुभव करते, ब्रह्मा बाप का अनुभव रहा, आज बूढ़ा हूँ कल मिचनू सा बन जाऊंगा। याद है ना! पुरानों को याद है? है भी आज और कल का खेल। इतना स्पष्ट भविष्य अनुभव हो। आज स्वराज्य अधिकारी हैं कल विश्व राज्य अधिकारी। है नशा? देखो, आज बच्चे ताज पहनकर बैठे हैं। (रिट्रीट में आये हुए डबल विदेशी छोटे बच्चे ताज पहनकर बैठे हैं) तो क्या नशा है? ताज पहनने से क्या नशा है? यह फरिश्ते के नशे में हैं। हाथ हिला रहे हैं, हम नशे में हैं।

तो इस वर्ष क्या करेंगे? नये वर्ष में नवीनता क्या करेंगे? कोई प्लैन बनाया है? नवीनता क्या करेंगे? प्रोग्राम तो करते रहते हैं, लाख का भी किया, दो लाख का भी किया, नवीनता क्या करेंगे? आजकल के लोग एक तरफ स्व प्राप्ति के लिए इच्छुक भी हैं, लेकिन हिम्मतहीन हैं। हिम्मत नहीं है। सुनने चाहते भी हैं, लेकिन बनने की हिम्मत नहीं है। ऐसी आत्माओं को परिवर्तन करने के लिए पहले तो आत्माओं को हिम्मत के पंख लगाओ। हिम्मत के पंख का आधार है अनुभव। अनुभव कराओ। अनुभव ऐसी चीज़ है, जरा सा अंचली मिलने के बाद अनुभव किया तो अनुभव के पंख कहो, या अनुभव के पांव कहो उससे हिम्मत में आगे बढ़ सकेंगे। इसके लिए विशेष इस वर्ष निरन्तर अखण्ड महादानी बनना पड़े, अखण्ड। मन्सा द्वारा शक्ति स्वरूप बनाओ। महादानी बन मन्सा द्वारा, वायब्रेशन द्वारा निरन्तर शक्तियों का अनुभव कराओ। वाचा द्वारा ज्ञान दान दो, कर्म द्वारा गुणों का दान दो। सारा दिन चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्म तीनों द्वारा अखण्ड महादानी बनो। समय प्रमाण अभी दानी नहीं, कभी-कभी दान किया, नहीं, अखण्ड दानी क्योंकि आत्माओं को आवश्यकता है। तो महादानी बनने के लिए पहले अपना जमा का खाता चेक करो। चार ही सबजेक्ट में जमा का खाता कितनी परसेन्ट में है? अगर स्वयं में जमा का खाता नहीं होगा तो महादानी कैसे बनेंगे! और जमा के खाते को चेक करने की निशानी क्या है? मन्सा, वाचा, कर्म द्वारा सेवा तो की लेकिन जमा की निशानी है - सेवा करते हुए पहले स्वयं की सन्तुष्टता। साथ-साथ जिन्हों की सेवा करते, उन आत्माओं में खुशी की सन्तुष्टता आई? अगर दोनों तरफ सन्तुष्टता नहीं तो समझो सेवा के खाते में आपकी सेवा का फल जमा नहीं हुआ।

बापदादा कभी-कभी बच्चों के जमा का खाता देखते हैं। तो कहाँ-कहाँ मेहनत ज्यादा है, लेकिन जमा का फल कम है। कारण? दोनों तरफ की सन्तुष्टता की कमी। अगर सन्तुष्टता का अनुभव नहीं किया, चाहे स्वयं, चाहे दूसरे तो जमा का खाता कम होता है। बापदादा ने जमा का खाता बहुत सहज बढ़ाने की गोल्डन चाबी बच्चों को दी है। जानते हो वह चाबी क्या है? मिली तो है ना! सहज जमा का खाता भरपूर करने की गोल्डन चाबी है - कोई भी मन्सा-वाचा-कर्म, किसी में भी सेवा करने के समय एक तो अपने अन्दर निमित्त भाव की स्मृति। निमित्त भाव, निर्माण भाव, शुभ भाव, आत्मिक स्नेह का भाव, अगर इस भाव की स्थिति में स्थित होकर सेवा करते हो तो सहज आपके इस भाव से आत्माओं की भावना पूर्ण हो जाती है। आज के लोग हर एक का भाव क्या है, वह नोट करते हैं। क्या निमित्त भाव से कर रहे हैं, वा अभिमान के भाव से! जहाँ निमित्त भाव है वहाँ निर्मान भाव ऑटोमेटिकली आ जाता है। तो चेक करो - क्या जमा हुआ? कितना जमा हुआ? क्योंकि इस समय संगमयुग ही जमा करने का युग है। फिर तो सारा कल्प जमा की प्रालब्ध है।

तो इस वर्ष क्या विशेष अटेन्शन देना है? अपने-अपने जमा का खाता चेक करो। चेकर भी बनो, मेकर भी बनो क्योंकि समय की समीपता के नजारे देख रहे हो। और सभी ने बापदादा से वायदा किया है कि हम समान बनेंगे। वायदा किया है ना? जिन्होंने वायदा किया है, वह हाथ उठाओ। किया है पक्का? कि परसेन्टेज में? पक्का किया है ना? तो ब्रह्मा बाप समान खाता जमा चाहिए ना! ब्रह्मा बाप के समान बनना है तो ब्रह्मा बाप का विशेष चरित्र क्या देखा? आदि से लेकर अन्त तक हर बात में, मैं कहा या बाबा कहा? मैं कर रहा हूँ, नहीं, बाबा करा रहा है। किससे मिलने आये हो? बाबा से मिलने आये हो। मैं पन का अभाव, अविद्या, यह देखा ना! देखा? हर मुरली में बाबा, बाबा कितना बार याद दिलाते हैं? तो समान बनना, इसका अर्थ ही है पहले मैं पन का अभाव हो। पहले सुनाया है - कि ब्राह्मणों का मैं-पन भी बहुत रॉयल है। याद है ना? सुनाया था ना! सब चाहते हैं कि बापदादा की प्रत्यक्षता हो। बापदादा की प्रत्यक्षता करें। प्लैन बहुत बनाते हो। अच्छे प्लैन बनाते हो, बापदादा खुश है। लेकिन यह रॉयल रूप का मैं-पन प्लैन में, सफलता में कुछ परसेन्टेज कम कर देता है। नेचुरल संकल्प में, बोल में, कर्म में, हर संकल्प में बाबा, बाबा स्मृति में हो। मैं-पन नहीं। बापदादा करावनहार करा रहा है। जगत-अम्बा की यही विशेष धारणा रही। जगत अम्बा का स्लोगन याद है, पुरानों को याद होगा। है याद? बोलो, (हुक्मी हुक्म चलाए रहा) यह थी विशेष धारणा जगत अम्बा की। तो नम्बर लेना है, समान बनना है तो मैं पन खत्म हो जाए। मुख से ऑटोमेटिक बाबा-बाबा शब्द निकले। कर्म में, आपकी सूरत में बाप की मूरत दिखाई दे तब प्रत्यक्षता होगी।

बापदादा यह रॉयल रूप के मैं-मैं के गीत बहुत सुनते हैं। मैंने जो किया वही ठीक है, मैंने जो सोचा वही ठीक है, वही होना चाहिए, यह मैं पन धोखा दे देता है। सोचो भले, कहो भले लेकिन निमित्त और निर्माण भाव से। बापदादा ने पहले भी एक रूहानी ड्रिल सिखाई है, कौन सी ड्रिल? अभी-अभी मालिक, अभी-अभी बालक। विचार देने में मालिक पन, मैजारिटी के फाइनल होने के बाद बालक पन। यह मालिक और बालक... यह रूहानी ड्रिल बहुत-बहुत आवश्यक है। सिर्फ बापदादा के तीन शब्द शिक्षा के याद रखो - सबको याद हैं! मन्सा में निराकारी, वाचा में निरंहकारी, कर्म में निर्विकारी। जब भी संकल्प करते हो तो निराकारी स्थिति में स्थित होके संकल्प करो और सब भूल जाए लेकिन यह तीन शब्द नहीं भूलो। यह साकार रूप की तीन शब्दों की शिक्षा सौगात है। तो ब्रह्मा बाप से साकार रूप में भी प्यार रहा है। अभी भी डबल फारेनर्स कई अनुभव सुनाते हैं कि ब्रह्मा बाप से बहुत प्यार है। देखा नहीं है तो भी प्यार है। है? हाँ डबल फारनेर्स ब्रह्मा बाप से प्यार ज्यादा है ना? है ना? तो जिससे प्यार होता है ना उसकी सौगात बहुत सम्भाल के रखते हैं। चाहे छोटी सी भी सौगात होगी ना, तो जिससे अति प्यार होता है उसकी सौगात को छिपाके रखते हैं, सम्भाल के रखते हैं। तो ब्रह्मा बाप से प्यार है तो इन तीन शब्दों की शिक्षा से प्यार। इसमें सम्पन्न बनना या समान बनना बहुत सहज हो जायेगा। याद करो ब्रह्मा बाप ने क्या कहा!

तो नये वर्ष में वाचा की सेवा भले करो, धूमधाम से करो लेकिन अनुभव कराने की सेवा सदा अटेन्शन में रखो। सब अनुभव करें कि इस बहन द्वारा या भाई द्वारा हमें शक्ति का अनुभव हुआ, शान्ति का अनुभव हुआ, क्योंकि अनुभव कभी भूलता नहीं है। सुना हुआ भूल जाता है। अच्छा लगता है लेकिन भूल जाता है। अनुभव ऐसी चीज़ है जो खींच के उसको आपके नजदीक लायेगी। सम्पर्क वाला सम्बन्ध में आता रहेगा। क्योंकि सम्बन्ध के बिना वर्से के अधिकारी नहीं बन सकते हैं। तो अनुभव सम्बन्ध में लाने वाला है। अच्छा।

समझा, क्या करेंगे? चेक करो, चेकर भी बनो मेकर भी बनो। अनुभव कराने के मेकर बनो, जमा के खाते चेक करने के चेकर बनो। अच्छा।

सब पहुंच गये हो तो बापदादा सभी को दिल की दुआओं सहित पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। देखो पटरानी, पटराने बन गये हो ना? कुर्सी राना नहीं कहा जाता है, पटरानी कहा जाता है। आज सारी सभा मैजारटी पटरानी, पटराने बन गये हैं। बैठ-बैठकर थक तो नहीं गये हैं। कुर्सा पर बैठने वालों को पट मिल गया है, तो थकावट तो नहीं, दर्द तो नहीं हो रहा है? खुशी में सब भूल जाता है। अच्छा - आज समाचार में सुनाया है कि एक तो बच्चों का ग्रुप आया है। बच्चे सब उठो। सभी को इन्हों का ताज दिखाई दे रहा है? तो ताजधारी बच्चे हैं। देखो, झण्डियां लहरा रहे हैं। अच्छा है। बच्चों को देख करके खुशी होती है ना! और सुना कि बच्चों ने भी रिट्रीट की है। अच्छा कितने बच्चे हैं? (रिट्रीट के लिए 11 देशों से 26 बच्चे आये हुए हैं) तो जो रिट्रीट की वह अपने-अपने देश में जाके औरों को भी रिट्रीट करायेंगे? हाँ जी की झण्डी हिलाते हैं। भूल नहीं जाना। ऐसा एक्जाम्पुल बनना जो सभी कहें वाह बच्चे वाह! सभी देशों से रिजल्ट आयेगी ना। जो पाठ पढ़ा वह कर्म तक लाना। सिर्फ कान तक नहीं, कर्म तक। अच्छा है। बच्चों को जैसा संग मिलता है वैसा रंग लगता है। तो बच्चों को देखकर बापदादा खुश होते हैं। खास मुबारक देते हैं। पहले तो ताज की मुबा-रक हो। सजधज के आये हैं। देखो आप बैठे यहाँ हो लेकिन सभी देश वाले आपको देख रहे हैं। अमेरिका भी देख रही है, लण्डन भी देख रहा है, आस्ट्रेलिया भी देख रहा है, सब आपको देख रहे हैं। कितने भाग्यवान हो! दूसरा ग्रुप है - यूथ ग्रुप। डबल फारेनर्स यह अच्छा करते हैं, ग्रुप ग्रुप की रिट्रीट कर लेते हैं। डबल फायदा उठाते हैं। बापदादा से भी मिलते हैं और साथ-साथ रिट्रीट भी करते हैं। (26 देशों से 160 यूथ आये हैं) आपको तो बहुत कुछ सेवा में दिखाना है। इन्टरनेशनल यूथ ग्रुप बनाया है। इसमें इन्टरनेशनल है ना! अच्छा यह तीन टीचर मिली हैं, त्रिमूर्ति। अच्छा है। बापदादा ने समाचार सुना था और रिजल्ट भी यूथ ग्रुप की सुनी। बापदादा को एक बात बहुत अच्छी लगी, जो सभी के लिए बहुत अच्छी है। यूथ ग्रुप ने लक्ष्य रखा है कि हम सोल कान्सेसनेस, आत्म-अभिमानी ज्यादा में ज्यादा रहेंगे। आत्मा का पाठ पक्का किया है। किया है पक्का? हाथ हिलाओ। मधुबन तक रहेगा या वहाँ भी रहेगा? बच्ची ने सुनाया तो बापदादा ने पहले-पहले छोटे बच्चों की बो\डग में भी आत्मा का पाठ पक्का कराया था, इन्होंने भी लक्ष्य रखा है कि बाडीकान्सेस नहीं होंगे, सोलकान्सेसनेस में रहेंगे। पक्का है ना? तो कैसे पता पड़ेगा कि पक्का है या कच्चा है? टीचर्स रिपोर्ट लिखेंगे? हर मास की चारों ओर की रिपोर्ट अपने पास मंगाओ और फिर वह रिपोर्ट मधुबन में भेजो। दादी दीदी के नाम से नहीं भेजना, उन्हों को काम बहुत होता है। आफिस में भेजना। और जब भी कोई समाचार का लेटर भेजते हो तो उसमें ऊपर से लिखो - इस डिपार्टमेंट के लिए यह समाचार है। यूथ रिजल्ट। तो पता पड़ेगा कि कहाँ तक प्रैक्टिकल में लाया है। आप लोग करेंगे तो सभी को उमंग आयेगा, उत्साह बढ़ेगा। अच्छी टॉपिक रखी है। कुछ भी हो जाए बाडीकान्सेस में नहीं आना। बापदादा को पसन्द आया। रिपोर्ट अच्छी है। अभी ऐसे ही अपना संगठन अपने-अपने देश में बढ़ाओ। उन्हों को भी उमंग-उत्साह मे लाओ। अगर यूथ आत्म-अभिमानी स्टेज में पक्के पास हो गये तो गवर्मेन्ट भी इनाम देगी, यह प्रेजीडेंट जो है ना, वह इनाम देगा। वह अच्छा है, जानता है। आपको इनाम की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन इससे सेवा होती है। टी.वी. में, रेडियो में आवाज फैलता है ना। ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियां यह प्रतिज्ञा करके प्रैक्टिकल में चल रहे हैं। करेंगे ना, ऐसा शो करेंगे? करेंगे? अच्छा - चलो, बड़े तो बड़े हैं यूथ नम्बरवन हो जायें। बापदादा बहुत-बहुत इनएडवांस हर एक यूथ को दुआयें दे रहे हैं। तो बाप की दुआयें सदा साथ रखना। अच्छा है डबल फायदा लेते हैं, यह बहुत अच्छा है।

सेवा का टर्न गुजरात का है:- गुजरात की सभी टीचर्स खड़ी हो जाओ। टीचर्स ही बहुत हैं। टीचर्स की संख्या सबसे ज्यादा नम्बर-वन कौन सा जोन है? (पहला महाराष्ट्र, सेकण्ड नम्बर गुजरात है) फर्स्ट नम्बर महाराष्ट्र है! महाराष्ट्र में दूसरे भी हैं ना, आन्ध्र प्रदेश भी है। आन्ध्रप्रदेश छोटा नहीं है, काफी बड़ा है तो दोनों मिलाके नम्बरवन हैं और आप एक ही गुजरात के हो। मुबारक हो। इतनी निर्विघ्न सेवा है ना! जितनी टीचर्स हैं, जितने सेवा में नम्बरवन हो, वन हो गया ना। इतना ही निर्विघ्न में भी नम्बरवन। इस वर्ष सेवा का गोल्डन चांस मिला है, आपकी सेवा में नया वर्ष शुरू हो जायेगा। तो यह नवीनता करके गुजरात दिखाना। पूरा साल सारा गुजरात निर्विघ्न, नम्बरवन। हो सकता है? तो बापदादा सभी जोन को आपका एक्जैम्पुल देंगे। बड़ा भी है और निर्विघ्न भी है। दोनों में नम्बरवन। ठीक है? सभी टीचर्स ने हाथ उठाया? फिर से उठाओ। सिर्फ हाथ नहीं उठाना, मन को उड़ाना। हाथ मन सहित है ना! ठीक है? फिर तो मुबारक है। इनएडवांस मुबारक और दुआयें हैं। दादियों की भी दुआयें हैं। देखो जनक बच्ची भी दुआयें दे रही है, बेड पर बैठकर भी दुआयें दे रही है। कमाल दिखाना। कोई भी बात हो समा देना। अन्दर मन में बापदादा को दे करके समा देना। एक - सहनशक्ति, दूसरी - समाने की शक्ति, अगर यह दोनों विशेष शक्तियां आपमें हैं तो पास विद आनर हो जायेंगी। इसको इमर्ज रखना। सहनशक्ति को भी और समाने की शक्ति को भी। ऐसे नहीं समाना जो बीमार हो जाओ, ऐसे नहीं। कई अन्दर समाने की कोशिश करते हैं ना तो बीमार हो जाते हैं, दिमाग खराब हो जाता है। ऐसे नहीं समाना। समाने की शक्ति से समाना। अच्छा है। गुजरात वाले कर सकते हैं। करना ही है। ठीक है ना! क्या, कहो करना ही है। बापदादा भी कहते हैं हुआ ही पड़ा है। अच्छा।

गुजरात के सेवाधारी तो बहुत हैं इसलिए उठाते नहीं हैं, बहुत संख्या है। अच्छा उठने चाहते हैं, चलो उठो। अच्छा, बहुत हैं। (3000 सेवाधारी हैं) देखो गुजरात को सब जोन में से एक वरदान ज्यादा है। कौन सा ज्यादा है? (समीप रहने का) सबसे ज्यादा वरदान एक्स्ट्रा है कि गुजरात की धरनी पर भाग्यविधाता ब्रह्मा बाप की नजर पड़ी। यह गुजरात भाग्य-विधाता ब्रह्मा बाप की नजर से पैदा हुआ है। तो विशेष वरदान है। गुजरात ने आपेही सेन्टर नहीं खोले, बापदादा ने खुलवाये। इसलिए गुजरात को लिफ्ट है। अभी इसी लिफ्ट की गिफ्ट से सहज निर्विघ्न बन जाना। अच्छा। बहुत अच्छी सेवा की। गुजरात की दिल बड़ी है ना तो देखो संगठन भी बड़ा हो गया है। अच्छा।

ज्युरिस्ट विंग:- सभी ने देखा, आपके ब्राह्मण परिवार में एक ही ग्रुप में कितने वकील और जज हैं। देखा? बहुत वकील जज हैं। अभी आप लोगों ने बापदादा की एक आशा पूरी की नहीं है। की है? वकील और जज हैं तो हिलाओ। जनता को थोड़ा हिला के दिखाओ ना। गीता के भगवान पर हिलाके दिखाओ। कोई ऐसा प्लैन नहीं बनाया है। चलो थोड़ा-थोड़ा आवाज तो फैलाओ। इन्डीविज्युअल ट्रायल तो करो हिलाके देखने की। बिचारे इसी एक गलती के कारण परमात्मा के वर्से से वंचित हैं। ऐसे वंचित आत्माओं को वर्सा दिलाने के निमित्त बनो। ठीक है ना! कोई प्लैन बनाओ। थोड़ा-थोड़ा भी रिहर्सल करो, हिलाके देखो क्या कहते हैं! जैसे देखो साइंस और साइलेन्स दोनों का मेल आजकल दुनिया समझती है होना चाहिए। ऐसे मेडीटेशन और मेडीसन इसका भी मेल समझते हैं। ऐसे ज्युरिस्ट क्या सिद्ध करेंगे? बापदादा ने पहले भी कहा है कि हर वर्ग को कुछ ऐसा स्लोगन बनाना चाहिए। जैसे साइंस साइलेन्स, ऐसे कुछ प्रैक्टिकल में स्लोगन बनाओ। याद है - पहले-पहले जब प्रदर्शनी शुरू की थी तब प्रोब रखते थे, प्रोब के रूप में ऐसी प्वाइंटस रखते थे, अभी नहीं रखते हैं लेकिन शुरू-शुरू में प्रोब रखते थे। अभी प्रदर्शनी में नहीं तो इन्डीविज्युअल ही सही। केस के लिए बापदादा नहीं कह रहे हैं, पहले तैयारी तो हो। पहले थोड़ी छेड़छाड़ करो, लोगों को मिलाओ। वह आपकी तरफ से तैयार होवें। अच्छा। तो बापदादा कहते हैं कि आप सेल्फ जज हो, तो ``जज योर सेल्फ'' इस टॉपिक को थोड़ा और आगे बढ़ाओ। जजेस को कहो सेल्फ योर जज बन करके सृष्टि का परिवर्तन करो। वह केस करने वाला जज भी और जज योर सेल्फ भी, दोनों हैं। ऐसे कुछ इन्वेंशन करो, स्लोगन बनाओ जो दो-दो शब्द मिलते हों। ऐसे कुछ टापिक बनाओ। ठीक है थोड़ा ट्रायल करो इन्डिपिडेंट। पहले थोड़ा ग्रुप तैयार करो, पीछे सोचो। रिट्रीट करते हो, इकट्ठे होते हो, कुछ सोचते हो इसकी मुबारक हो। (कानफ्रेंस भी बहुत करते हैं) करो बहुत अच्छा है। माइक कौन से निकले हैं, वह बाप के सामने नहीं आये हैं। माइक माना जिसके आवाज में ताकत हो, माइक उसको कहा जाता है। चाहे प्रेजीडेंट हो, प्राइममिनिस्टर हो लेकिन आवाज में ताकत नहीं तो माइक नहीं। माइक वह जिसकी आवाज में ताकत हो, ऐसा माइक तैयार करो। किसी भी रीति से बेधड़क होके माइक बनके आवाज करे, ऐसे माइक चाहिए। ऐसा माइक नहीं जो अपने ही समाज में करे। माइक तो बड़े आवाज वाला चाहिए। अच्छा।

कलचरल विंग:- कलचरल विंग ने क्या नया प्लैन बनाया? कोई नया प्लैन बनाया? (अभियान निकालने का और कान्फ्रेंस करने का प्लैन बनाया है) यह तो ठीक है, नया क्या बनाया? यह तो अच्छा है भले करो लेकिन कुछ नवीनता करो। (प्रदर्शनी बनाई है, इससे बापदादा की प्रत्यक्षता करेंगे) बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक विंग कोई नया प्लैन बनाये, कितने समय से कान्फ्रेन्स की है, कितना टाइम हुआ है कान्फ्रेन्स करते, बहुत साल हो गये और प्रदर्शनी, अभियान यह तो करते रहते हो, अभी कोई नया प्लैन बनाओ। (कलचरल कार्निवल करने का विचार है) बनाओ प्लैन। अच्छा। सभी वर्ग के लिए बापदादा कह रहे हैं कि कोई नया प्लैन बनाओ। यह तो सभी को पता पड़ गया है कि ब्रह्माकुमारियां कानफ्रेन्स करती हैं, अभियान भी निकालती हैं, यह सबको पता पड़ गया है। अभी कोई नया प्लैन ऐसा बनाओ जो सब समझें कि यह देखना जरूरी है क्योंकि आजकल नवीनता को पसन्द करते हैं। तो सोचो, टच हो जायेगा कोई बड़ी बात नहीं है और देखेंगे कौन सा वर्ग नवीनता दिखाता है। नम्बरवन एक तो बनेगा ना। तो करो। अमृतवेले योग के बाद, योग के टाइम नहीं करना लेकिन योग के बाद दिमाग में ताकत होती है उस समय सोचो, तो टचिंग हो जायेगी। बाकी जो किया है उसकी मुबारक है, जो प्लैन बनाया है वह भी करो लेकिन कुछ नया करके दिखाना। सोचो। बहुत अच्छा।

(यू.पी. और राजस्थान में बड़ा मेला करने का उमंग दादी जी को आ रहा है) करना चाहिए क्योंकि राजस्थान और यू.पी. में बहुत समय हुआ है, ऐसा बड़ा प्रोग्राम नहीं हुआ है। अभी राजस्थान का माइक उमंग में है। (वाइसप्रेजीडेंट के लिए) उसका आवाज मदद कर सकता है क्योंकि सीट पर है तो फायदा लेना चाहिए। सीट पर बैठने वाली आत्मा का आवाज थोड़ा बुलन्द होता है, एडवरटा-इज हो जाती है। करना चाहिए, यह संकल्प ठीक है। मदद चाहिए, तो एक दो की मदद ले लो लेकिन करना चाहिए।

(कलकत्ता में बहुत बड़ा प्रोग्राम हुआ, भोपाल में बड़ा मेला होने वाला है) वैसे हर जगह के बड़े प्रोग्राम जो हुए हैं, हर जगह की अपनी-अपनी विशेषता रही है, कहाँ संख्या की, कहाँ प्रोप्रोगण्डा आलराउण्ड हुई है, जैसे दिल्ली में विदेश तक आवाज गया, कलकत्ता में दो लाख हो गये। अलग-अलग विशेषता हुई ना। ऐसे ही गुजरात ने पहला नम्बर लिया, इन्वेंशन की ना। बाम्बे में भी अच्छा आवाज फैला। मद्रास में तो ऐसा तीन दादियों का चित्र बनाया जो सब तरफ चला। (पहले गुजरात ने बनाया था) मद्रास ने थोड़ा अच्छा बनाया, शोभा थी। सभी जगह अच्छा बना। बापदादा तो बच्चों की यूनिटी, एकता और एकाग्रता पर दुआयें देता है। चाहे संख्या कितनी भी आई लेकिन नाम तो हुआ ना। ब्रह्माकुमारियां मैदान में तो आई ना, इसीलिए सभी स्थान की अपनी-अपनी विशेषता रही और सभी ने मिल करके संगठित रूप में किया, इसकी पहला नम्बर मुबारक है। अच्छा। भोपाल भी फंक्शन करने में होशियार है। करेंगे, वह भी कमाल करेंगे क्योंकि भोपाल में आई.पीज का कने-क्शन अच्छा है। काफी आई.पी इनके कनेक्शन में हैं, अभी उन्हों को कार्य में कितना लगाते हैं, वह प्रोग्राम बनाया होगा। बाकी वह भी होशियार हैं, कर लेंगे। अच्छा हो जायेगा।

अच्छा। अभी सभी क्या करेंगे? बापदादा को नये वर्ष की कोई गिफ्ट देंगे या नहीं? नये वर्ष में क्या करते हो? एक दो को गिफ्ट देते हो ना। एक कार्ड देते हैं, एक गिफ्ट देते हैं। तो बापदादा को कार्ड नहीं चाहिए, रिकार्ड चाहिए। सब बच्चों का रिकार्ड नम्बरवन हो, यह रिकार्ड चाहिए। निर्विघ्न हो, अभी यह कोई-कोई विघ्न की बातें सुनते हैं ना, तो बापदादा को एक हंसी का खेल याद आता है। मालूम है कौन सा हंसी का खेल है? वह खेल है - बूढ़े-बूढ़े गुड़ियों का खेल कर रहे हैं। हैं बूढ़े लेकिन खेल करते हैं गुड़ियों का, तो हंसी का खेल है ना। तो अभी जो छोटी-छोटी बातें सुनते हैं, देखते हैं ना तो ऐसे ही लगता है, वानप्रस्थ अवस्था वाले और बातें कितनी छोटी हैं! तो यह रिकार्ड बाप को अच्छा नहीं लगता। इसके बजाए, कार्ड के बजाए रिकार्ड दो - निर्विघ्न, छोटी बातें समाप्त। बड़े को छोटा बनाना सीखो और छोटी को खत्म करना सीखो। बापदादा एक-एक बच्चे का चेहरा, बापदादा का मुखड़ा देखने का दर्पण बनाने चाहते हैं। आपके दर्पण में बापदादा दिखाई दे। तो ऐसा विचित्र दर्पण बापदादा को गिफ्ट में दो। दुनिया में तो ऐसा कोई दर्पण है ही नहीं जिसमें परमात्मा दिखाई दे। तो आप इस नये वर्ष की ऐसी गिफ्ट दो जो विचित्र दर्पण बन जाओ। जो भी देखे, जो भी सुने तो उसको बापदादा ही दिखाई दे, सुनाई दे। बाप का आवाज सुनाई दे। तो सौगात देंगे? देंगे? जो देने का दृढ़ संकल्प करते हैं, वह हाथ उठाओ। दृढ़ संकल्प का हाथ उठाओ। डबल फारेनर्स भी उठा रहे हैं। सिन्धी ग्रुप भी उठा रहा है। सोच के उठा रहे हैं। सिंधी ग्रुप सोच के उठा रहे हो?

सिंधी ग्रुप उठो। तो बापदादा को गिफ्ट देंगे? अगर देंगे तो बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा। सभी ने उठाया है। देखना, रिपोर्ट मिल जायेगी। रिपोर्ट मिलेगी ना! आपेही रिपोर्ट लिखना। हर मास में दो अक्षर लिखना - प्रॉमिस ओ.के.। जो प्रॉमिस किया है वह ओ.के. है। कार्ड में ही लिखना, ज्यादा लिफाफा नहीं भेजना, खर्चा नहीं करना, कार्ड में ही भेजना। ठीक है ना। कांध तो हिलाओ। अच्छा है। बापदादा की सिन्धी ग्रुप में उम्मींद है, बतायें कौन सी उम्मींद है? यही उम्मींद है कि सिन्धी ग्रुप में से एक ऐसा माइक निकले जो चैलेन्ज करे कि क्या था और क्या बन गये हैं। जो सिन्धियों को जगावे। बिचारे, बिचारे हैं। पहचानते ही नहीं हैं। देश के अवतार को ही नहीं जानते हैं। तो सिन्धी ग्रुप में ऐसा माइक निकले जो चैलेन्ज से कहे हम सुनाते हैं यथार्थ क्या है। ठीक है? उम्मींद पूरी करेंगे? अभी थोड़े आये हैं लेकिन औरों को उमंग में लाके ऐसे उम्मीदों के सितारे बनो। उम्मींद को पूरा करने वाले सफलता के सितारे बनो। कोई को भी तैयार करो। ठीक है? देखेंगे। बोलो करेंगे? अच्छा है। कुमारियां भी करेंगी। हिम्मत अच्छी है, मुबारक हो। (जुलाई में सिन्धी सम्मेलन करेंगे) माइक तैयार करके दिखाओ कोई सिन्धी। अच्छा है, सिन्धी पार्टी आती है ना तो रौनक हो जाती है।

अच्छा - अभी सभी को याद है - क्या देना है? गिफ्ट और रिकार्ड। वैसे तो अगर दर्पण बन गये तो रिकार्ड आ ही जायेगा। अभी बापदादा मेहनत का पुरूषार्थ देखने नहीं चाहते हैं। अब छोटी-छोटी बातों में मेहनत नहीं, अभी उड़ो। ऊपर ही रहेंगे तो बाकी सब बातें नीचे रह जायेंगी।

अच्छा -मधुबन वाले सब ठीक हैं। चार पांच सब भुजायें हैं? पाण्डव भवन, ज्ञान सरोवर से थोड़े-थोड़े आये हैं। अच्छा - सभी को शान्तिवन, ज्ञान सरोवर, चाहे पाण्डव भवन, चाहे हॉस्पिटल सभी को बापदादा दिल से बहुत-बहुत मुबारक देते हैं। जो भी आते हैं उनकी सेवा अच्छी करते हैं। सेवा करने में नम्बर अच्छा है। और फिर पीछे सुनायेंगे लेकिन सेवा में नम्बर अच्छा है। अथक बनके सेवा करने में एक नेचुरल आदत हो गई है। फिर भी देखो कितनी संख्या है। अभी की संख्या कितनी है? (15-16 हजार आये हैं, सभी मिलकर करीब 18 हजार हाल में बैठे हैं) इतने सबको सम्भाल रहे हैं ना। आये हुए जो भी डबल विदेशी या देश वाले सब ठीक हो? खाना ठीक मिला है, ठीक रहे हुए हो, ठण्डी तो नहीं लगी? कम्बल मिले हैं? मातायें, मातायें सुख से रह रही हैं? मातायें ठीक रही पड़ी हैं?

अच्छा - तो याद रखना, नये वर्ष की नवीनता दिखाना। बाहर भी जो बैठे हैं, वह भी सुन-सुन करके खुश हो रहे हैं। इन्टरनेट पर सुनते ज्यादा हैं, देखने वाले तो थोड़े होंगे, लेकिन सुनने वाले बहुत हैं। तो बापदादा खुश होते हैं कि दूर बैठे भी ऐसे ही लगन से बैठते हैं जैसे सम्मुख बैठे हैं और समय का अन्तर होते भी हिम्मत और उत्साह से बैठते हैं।

बाकी सभी तरफ से कार्ड तो बहुत आये हैं। यहाँ रखे हुए हैं ना! बापदादा ने देखे। तो कार्ड वालों को बापदादा रेसपान्ड में, याद-प्यार दुआओं के साथ कार्ड के बदले रिकार्ड दिखाओ, यह कह रहे हैं। कार्ड भेजने की मुबारक है लेकिन रिकार्ड दिखायेंगे तो बहुत-बहुत-बहुत-बहुत मुबारकें मिलेंगी। खिलौने भी भेजते हैं, पत्र भी भेजते हैं। डबल फारेनर्स की मैजारिटी की एक विशेषता है जो बापदादा को बहुत प्यारी लगती है। जनक बच्ची भी फॉरेन की रिजल्ट सुन रही है, खुश हो रही है। एक विशेषता यह है कि सच बोलते हैं। सच्ची दिल पर साहेब राजी होता है। हिलते भी हैं, झूलते भी हैं लेकिन बोलते सच हैं। और जो सच बोलता है ना उसकी आधी गलती माफ हो जाती है। इसलिए बापदादा को यह विशेषता अच्छी लगती है क्योंकि जो झूठ बोलते हैं ना, तो झूठ ऐसी चीज़ है वो अन्दर खाता जरूर है। जैसे कांटा पांव में चुब जाता है ना तो क्या होता रहता है? अन्दर ही अन्दर काटता रहता है ना। ऐसे झूठ बोलने वाले के अन्दर खुशी कभी नहीं होगी। कोई न कोई प्राबलम ही प्राबलम होगी। इसीलिए स्पष्ट आत्मा बनने से स्पष्टता श्रेष्ठ बना देती है। मदद मिल जाती है, लिफ्ट हो जाती है। तो अपनी विशेषता कभी कम नहीं करना। इस विशेषता की आप लोगों को बहुत मदद है। अच्छा।

चारों ओर के सदा अखण्ड महादानी बच्चों को, चारों ओर के बाप के राइट हैण्ड, आज्ञाकारी भुजाओं को, चारों ओर के सदा सर्व आत्माओं को हिम्मत के पंख लगाने वाले हिम्मतवान आत्माओं को, चारों ओर के सदा बाप समान हर कर्म में फालो करने वाले ब्रह्मा बाप और जगत अम्बा के शिक्षाओं को सदा प्रैक्टिकल जीवन में लाने वाले सर्व बच्चों को बहुत-बहुत यादप्यार, दुआयें और नमस्ते।

रात्रि 12 बजे के बाद प्यारे अव्यक्त बापदादा ने नये वर्ष 2004 की बधाईयां सभी बच्चों को दी

इस समय संगम है, पुराने वर्ष और नये वर्ष का संगम है। इस नये वर्ष और पुराने वर्ष के संगम समय पर बापदादा सभी विश्व के अति प्रिय, अति लाडले, अति सिकीलधे बच्चों को बहुत-बहुत-बहुत दिल की दुआओं सहित यादप्यार दे रहे हैं। मुबारक की बहुत-बहुत थालियां भरकर दे रहे हैं। सारा वर्ष खुश रहना, अपने खुशनसीब भाग्य को सदा स्मृति में रख मास्टर भाग्यविधाता बनना। अभी संगमयुग की यादप्यार। डबल विदेशियों के प्रति और भारत के बच्चों के प्रति डबल गुडनाइट और गुडमार्निग दोनों ही दे रहे हैं। जैसे अभी खुश हो रहे हो ना! तो जब कोई बात ऐसी आवे तो आज के दिन को याद करके खुशी में झूमना। खुशी के झूले में सदा झूलते रहना। कभी दु:ख की लहर नहीं आवे। दु:ख देखने वाले तो दुनिया में अनेक आत्मायें हैं, आप सुख देखने, सुख देने वाले, सुखदाता के बच्चे सुख स्वरूप हो। कभी सुख के झूले में झूलो, कभी प्यार के झूले में झूलो, कभी शान्ति के झूले में झूलो। झूलते ही रहो। नीचे मिट्टी में पांव नहीं रखना। झूलते ही रहना। खुश रहना और सभी को खुश रखना और लोगों को खुशी बांटना। अच्छा।

ओम् शान्ति।